mahabharat episode 1
सबसे पहले हम mahabharat episode 1 में जिन किरदारो की बात हुई है | उन किरदारो को जानने की कोशिश करेंगे |
भरत
दुष्यंत – दुष्यंत की हम बात करें तो यह हस्तिनपुर नरेश भरत के पिता हैं
शकुंतला – शकुंतला हस्तिनापुर नरेश भरत की मां है
भरत – भरत हस्तिनापुर नरेश हैं और यह शकुंतला – दुष्यंत पुत्र है | भरत के 9 पुत्र थे |
mahabharat episode 1 –
महाभारत एपिसोड 1 की कहानी तब से शुरू होती है | जब हस्तिनापुर में महाराज भरत के राजपात का time अंतिम चल रहा था | और महाराज अपना युवराज घोषित कर दिया | जैसे-जैसे mahabharat episode 1 की स्टोरी आगे बढ़ती हैं | शांतनु हस्तिनापुर का राजा बन जाता है जो कि प्रजा में से था
शांतनु – शांतनु हस्तिनापुर नरेश है जिसे महाराजा ने प्रजा से चुनकर राजा बनाया था
गंगा – हस्तिनापुर नरेश शांतनु की महारानी थी
mahabharat episode 1 में मुख्य कहानी गंगा और शांतनु के विवाह की है
* शांतनु को गंगा कहा मिली ? |
* शांतनु को गंगा में ऐसा क्या (what) पसंद आया की शांतनु गंगा से विवाह कर लिया ? |
mahabharat episode 1 starts here
भरत – प्रणाम माते |
शकुंतला – चिरंजीवी हो |
भरत – माते आप चिंतित लग रही हैं |
शकुंतला – मैं चिंतित इसलिए लग रही हूं कि मैं चिंतित हूं |
भरत – कारण माते |
शकुंतला – नाथों के इतिहास में तुम पहले पिता हो जिसने अपने पुत्र का अधिकार किसी और को दिया है तुम कैसे पिता हो |
भारत– में एक ऐसा पिता हूं माते जो केवल पिता ही नहीं एक राजा भी है |
शकुंतला – पुत्र फिर भी पुत्र होता भरत
भरत – आप मां है ममता ने आप को विवश कर दिया है | मैं राजा हूं न्याय ने मुझे जकड़ रखा है | मेरा परिवार बहुत बड़ा है माते और फिर मैं जिसे युवराज नियुक्त करने जा रहा हूं वह भी तो मेरा ही पुत्र है | क्योंकि वह मेरी प्रजा में से एक है | सारा जनसमुदाय मेरा परिवार है यदि मैं अपने पुत्र को युवराज घोषित कर दूं तो यह राज्य और प्रजा दोनों के साथ अन्याय होगा राजमाता आपको तो गर्व होना चाहिए | कि आप के पुत्र ने न्याय किया |
परंतु भरत की राजनीति की धरती पर लोकतंत्र का जो यह अंकुर फूटा था वह कुछ पीढ़ियो बाद हस्तिनापुर नरेश शांतनु के शासनकाल में मुरझा गया जब जन्म को कर्म से बड़ा माना गया और वर्तमान को एक अनजाने भविष्य के दांव पर लगा दिया गया वास्तव में उसी दिन mahabharat के लिए कुरुक्षेत्र की रणभूमि सजने लगी थी |
mahabharata episode 1 – शांतनु की कहानी इस तरह शुरू होती है एक दिन महाराज
शांतनु गंगा तट पर शिकार खेल रहे थे | तभी शांतनु की मुलाकात गंगा से होती है |
शांतनु – मैं शांतनु हूं देवी हस्तिनापुर नरेश शांतनु |
गंगा – मैं गंगा हूं |
शांतनु – मैं इधर शिकार खेलने निकला था |
गंगा – फिर क्या हुआ महाराज |
कुछ जनने योग्य प्रश्न
* गंगा शांतनु से विवाह से पहले क्या शर्त रखी थी ? |
* गंगा ने अपने बच्चों को क्यों (why) नदी में बहाई थी ? |
शांतनु – यह तो अभी पता नहीं परंतु लगता है किसी चंद्रमुखी मृगनैनी ने मुझे को शिकार कर लिया है
गंगा – यह तो बहुत बुरा हुआ हस्तिनापुर नरेश को सावधान रहना चाहिए क्योंकि राजा बिना हस्तिनापुर ऐसा लगेगा जैसे धनुष बिना किसी धनुर्धारी का कंधा अब हस्तिनापुर का क्या होगा महाराज |
शांतनु – अब तो हस्तिनापुर के बचाव का केवल एक ही उपाय है
गंगा – तब तो आपको शीघ्र ही वह उपाय कर लेना चाहिए महाराज
शांतनु – यह तो तुम्हारे हाथ में है देवी
गंगा – अपना प्रश्न मैं कल करूंगी नरेश कि हस्तिनापुर जैसे शक्तिशाली राज्य का बचाव अब मेरे हाथ में कैसे
शांतनु – कल क्यों देवी आज क्यों नहीं
गंगा – क्यूंकि हर प्रश्न के उत्तर का एक मुहूर्त होता है महाराज
ganga
ganga
शांतनु – बहुत प्रतिक्षा तो नहीं करनी पड़ी देवी
गंगा – प्रतीक्षा तो करनी पड़ी परंतु बहुत नहीं तो कल आप कह रहे थे महाराज की हस्तिनापुर के बचाव का केवल एक ही उपाय है तो मैंने आपसे कहा था कि तब तो आपको वह उपाय शीघ्र ही कर लेना चाहिए तो आपने कहा कि यह मेरे हाथ में है अब यहां से आगे चलते हैं महाराज मेरे हाथ में कैसे
शांतनु – यदि तुम हस्तिनापुर की पटरानी बनना स्वीकार कर लो तो शांतनु भी बच जाएगा और हस्तिनापुर
राज भी
गंगा – यह सम्मान में स्वीकार कर भी सकती हूं परंतु
शांतनु – देवी मैं एक क्षत्रिय हूं और छत्रिय के शब्दकोश में परंतु जैसे शब्द नहीं होते
गंगा – तो फिर एक वचन दीजिए
शांतनु – आज से मेरे सारे वचन तुम्हारे हुए देवी
गंगा – सारे नहीं महाराज किंतु एक
शांतनु – एक वचन
गंगा – कि आप मुझसे कोई प्रश्न नहीं करेंगे
शांतनु – बस यही ठीक मैंने वचन दिया देवी तुम्हें
मुझे उम्मीद है कि आपको यह स्टोरी पसंद आई होगी |